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श्लोक 8.32.66  |
संजय उवाच
तथेति राजन् पुत्रस्ते सह कर्णेन भारत।
अब्रवीन्मद्रराजस्य मतं भरतसत्तम॥ ६६॥ |
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अनुवाद |
संजय ने कहा, "भारत! हे भरतभूषण! इस पर कर्ण आदि आपके पुत्रों ने 'बहुत अच्छा' कहकर शल्य की शर्त स्वीकार कर ली। |
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Sanjaya said, "Bharata! O king of Bharatabhushan! On this your sons including Karna said, 'Very good' and accepted Shalya's condition. |
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इति श्रीमहाभारते कर्णपर्वणि शल्यसारथ्ये द्वात्रिंशोऽध्याय:॥ ३२॥
इस प्रकार श्रीमहाभारत कर्णपर्वमें शल्यका सारथिकर्मविषयक बत्तीसवाँ अध्याय पूरा हुआ॥ ३२॥
(दाक्षिणात्य अधिक पाठका १/२ श्लोक मिलाकर कुल ६६ १/२ श्लोक हैं) |
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