श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 64
 
 
श्लोक  8.32.64 
एष सारथ्यमातिष्ठे राधेयस्य यशस्विन:।
युध्यत: पाण्डवाग्रॺेण यथा त्वं वीर मन्यसे॥ ६४॥
 
 
अनुवाद
हे वीर! आपकी इच्छानुसार अब मैं पाण्डवों के महारथी अर्जुन के साथ युद्ध करते समय महाबली कर्ण का सारथि बनना स्वीकार करूँगा।
 
Brave! As per your wish, I will now accept the duty of charioteer for the illustrious Karna while he is fighting with the Pandava's greatest warrior Arjuna. 64.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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