श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 63
 
 
श्लोक  8.32.63 
शल्य उवाच
यन्मां ब्रवीषि गान्धारे मध्ये सैन्यस्य कौरव।
विशिष्टं देवकीपुत्रात् प्रीतिमानस्म्यहं त्वयि॥ ६३॥
 
 
अनुवाद
शल्य बोले - कौरव! हे गान्धारीपुत्र! सारी सेना के सामने तुम मुझे देवकीपुत्र भगवान श्रीकृष्ण से भी श्रेष्ठ बता रहे हो, इससे मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ॥63॥
 
Shalya said - Kaurava! O son of Gandhari! In front of the whole army, you are describing me as superior to Lord Krishna, the son of Devaki, and I am very pleased with you. ॥ 63॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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