श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 61
 
 
श्लोक  8.32.61 
कर्णो ह्यभ्यधिक: पार्थादस्त्रैरेव नरर्षभ।
भवानभ्यधिक: कृष्णादश्वज्ञाने बले तथा॥ ६१॥
 
 
अनुवाद
नरश्रेष्ठ! कर्ण केवल अस्त्र-शस्त्र विद्या में ही अर्जुन से श्रेष्ठ है, किन्तु आप अश्व विद्या और बल दोनों में ही श्रीकृष्ण से बड़े हैं॥61॥
 
Narshrestha! Karna is superior to Arjun only in knowledge of weapons, but you are greater than Shri Krishna in both horse knowledge and strength. 61॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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