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श्लोक 8.32.59  |
न च त्वत्तो हि राधेयो न चाहमपि वीर्यवान्।
वृणेऽहं त्वां हयाग्र्याणां यन्तारमिह संयुगे॥ ५९॥ |
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अनुवाद |
न तो राधापुत्र कर्ण और न ही मैं तुमसे अधिक शक्तिशाली हूँ। तुम उत्तम अश्वों के सर्वश्रेष्ठ संचालक (घुड़सवारी के सर्वश्रेष्ठ ज्ञाता) हो, इसलिए मैं इस युद्धभूमि में तुम्हें चुन रहा हूँ।' |
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‘Neither Radha's son Karna nor I are stronger than you. You are the best handler of excellent horses (the best knower of horsemanship), so I am choosing you on this battlefield. |
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