श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 56
 
 
श्लोक  8.32.56 
ऋतमेव हि पूर्वास्ते वदन्ति पुरुषोत्तमा:।
तस्मादार्तायनि: प्रोक्तो भवानिति मतिर्मम॥ ५६॥
 
 
अनुवाद
आपके पूर्वज महापुरुष थे और सदैव सत्य बोलते थे, इसीलिए आप 'आर्तयनि' कहलाते हैं; ऐसा मेरा मत है॥ 56॥
 
Your ancestors were great men and always spoke the truth, that is why you are called 'Aartayani'; this is my opinion.॥ 56॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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