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श्लोक 8.32.53  |
प्रणयाद् बहुमानाच्च तं निगृह्य सुतस्तव।
अब्रवीन्मधुरं वाक्यं साम्ना सर्वार्थसाधकम्॥ ५३॥ |
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अनुवाद |
तब आपके पुत्र ने बड़े प्रेम और आदर के साथ उसे रोककर मधुर एवं सान्त्वनादायक वाणी में उससे ये वचन कहे, जिनसे उसकी समस्त कामनाएँ पूर्ण हो गईं-॥53॥ |
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Then your son stopped him with great love and respect and in a sweet and comforting voice said to him these words that fulfilled all his wishes -॥ 53॥ |
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