श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 44-45h
 
 
श्लोक  8.32.44-45h 
तेभ्यो वर्णविशेषाश्च प्रतिलोमानुलोमजा:॥ ४४॥
अथान्योन्यस्य संयोगाच्चातुर्वर्ण्यस्य भारत।
 
 
अनुवाद
हे भारत! इनसे अनुलोम-विलोम क्रम से विभिन्न वर्ण (जाति) उत्पन्न हुए हैं। चारों वर्णों के परस्पर संयोग से अन्य जातियाँ उत्पन्न हुई हैं।
 
Bharat! From these, various Varnas (castes) are born in the Anulom and Vilom order. Other castes have been born from the mutual association of the four Varnas. 44 1/2.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.