श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 43-44h
 
 
श्लोक  8.32.43-44h 
ब्रह्मणा ब्राह्मणा: सृष्टा मुखात् क्षत्रं च बाहुत:॥ ४३॥
ऊरुभ्यामसृजद् वैश्याञ्शूद्रान् पद्‍भ्यामिति श्रुति:।
 
 
अनुवाद
श्रुतिकाओं के अनुसार ब्रह्मा ने अपने मुख से ब्राह्मणों को, अपनी भुजाओं से क्षत्रियों को, अपनी जंघाओं से वैश्यों को और अपने पैरों से शूद्रों को उत्पन्न किया ॥43 1/2॥
 
According to the Shrutikas, Brahma created the Brahmins from his mouth, Kshatriyas from his arms, Vaishyas from his thighs and Shudras from his feet. ॥ 43 1/2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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