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श्लोक 8.32.36  |
न चापि कामान् कौरव्य निधाय हृदये पुमान्।
अस्मद्विध: प्रवर्तेत मा मां त्वमभिशङ्किथा:॥ ३६॥ |
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अनुवाद |
कौरव्य! मेरे जैसा पुरुष मन में कोई कामना लेकर युद्ध में नहीं जाता। अतः मुझ पर संदेह मत करो। |
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Kauravya! A man like me does not go to war with some desire in his mind. So do not doubt me. |
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