श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  8.32.30 
संजय उवाच
दुर्योधनवच: श्रुत्वा शल्य: क्रोधसमन्वित:।
विशिखां भ्रुकुटिं कृत्वा धुन्वन् हस्तौ पुन: पुन:॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
संजय कहते हैं - हे राजन! दुर्योधन की बात सुनकर शल्य अत्यन्त क्रोधित हो गए। उन्होंने अपनी भौंहें तीन स्थानों से टेढ़ी कर लीं और बार-बार हाथ हिलाने लगे।
 
Sanjaya says - O King! On hearing Duryodhan's words, Shalya became very angry. He twisted his eyebrows at three places and started shaking his hands repeatedly.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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