श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  8.32.28 
यथा सर्वास्ववस्थासु वार्ष्णेय: पाति पाण्डवम्।
तथा भवान् परित्रातुं कर्णं वैकर्तनं रणे॥ २८॥
 
 
अनुवाद
जैसे श्रीकृष्ण सब परिस्थितियों में पाण्डुपुत्र अर्जुन की रक्षा करते हैं, वैसे ही तुम भी युद्धभूमि में कर्ण की रक्षा करो॥ 28॥
 
Just as Shri Krishna protects Arjuna, son of Pandu, in all circumstances, similarly you should protect Karna on the battlefield.॥ 28॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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