श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  8.32.27 
रथिनां प्रवर: कर्णो यन्तॄणां प्रवरो भवान्।
संयोगो युवयोर्लोके नाभून्न च भविष्यति॥ २७॥
 
 
अनुवाद
कर्ण रथियों में श्रेष्ठ है और तुम रथियों में श्रेष्ठ हो। तुम दोनों का जो मिलन आज हुआ है, वह इस संसार में न पहले कभी हुआ है और न आगे कभी होगा॥ 27॥
 
Karna is the best among charioteers and you are the best among charioteers. The union of the two of you which has happened today has never happened before in this world nor will it ever happen again.॥ 27॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.