श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  8.32.26 
सूर्यारुणौ यथा दृष्ट्वा तमो नश्यति मारिष।
तथा नश्यन्तु कौन्तेया: सपञ्चाला: ससृंजया:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
महाराज! जिस प्रकार सूर्य और अरुण को देखकर अंधकार लुप्त हो जाता है, उसी प्रकार कुन्ती के पुत्र पांचाल और संजय आप दोनों को देखकर लुप्त हो जाएँ।
 
Sir! Just as darkness vanishes on seeing the Sun and Arun, similarly Kunti's sons Panchala and Sanjaya should vanish on seeing you both.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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