श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  8.32.19 
पार्थस्य समरे कृष्णो यथाभीषुग्रहो वर:।
तथा त्वमपि कर्णस्य रथेऽभीषुग्रहो भव॥ १९॥
 
 
अनुवाद
जिस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण युद्धभूमि में अर्जुन के रथ की बागडोर संभालने वाले सर्वश्रेष्ठ सारथी हैं, उसी प्रकार तुम्हें भी कर्ण के रथ पर बैठकर उसकी बागडोर अपने हाथ में लेनी चाहिए।
 
Just as Lord Krishna is the best charioteer who controls the reins of Arjuna's chariot on the battlefield, similarly you should also sit on Karna's chariot and take its reins in your hands.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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