श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  8.32.17 
भवांश्च पुरुषव्याघ्र सर्वलोकमहारथ:।
शल्य कर्णोऽर्जुनेनाद्य योद्धुमिच्छति संयुगे॥ १७॥
 
 
अनुवाद
मानसिंह शल्य! दूसरी बात, आप भी विश्वविख्यात योद्धा हैं और हमारे हित में लगे हुए हैं। आज कर्ण युद्धभूमि में अर्जुन के साथ युद्ध करना चाहता है॥17॥
 
Mansingh Shalya! Secondly, you too are a world-renowned warrior and are engaged in serving our interests. Today, Karna wants to fight with Arjuna on the battlefield.॥ 17॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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