श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  8.32.16 
हतवीरमिदं सैन्यं पाण्डवै: समरे विभो।
कर्णो ह्येको महाबाहुरस्मत्प्रियहिते रत:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
हे प्रभु! पाण्डवों ने युद्धस्थल में मेरी सेना के प्रधान योद्धाओं को मार डाला है। केवल महाबाहु कर्ण ही ऐसा है जो हमें प्रिय है और हमारे हित में लगा हुआ है॥ 16॥
 
Lord! The Pandavas have killed the chief warriors of my army in the battlefield. Only the mighty-armed Karna is such who is dear to us and is engaged in serving our interests.॥ 16॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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