श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  8.32.15 
बलवन्तो महात्मान: कौन्तेया: सत्यविक्रमा:।
बलं शेषं न हन्युर्मे यथा तत् कुरु पार्थिव॥ १५॥
 
 
अनुवाद
भूपाल! ऐसा उपाय करो कि बलवान, महामनस्वी और सत्यवादी कुन्तीकुमार मेरी शेष सेना को नष्ट न कर सकें॥15॥
 
Bhupal! Take measures to ensure that Kuntikumar, the strong, high-minded and truthful, cannot destroy the rest of my army. 15॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.