श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  8.32.13 
अस्मदीयाश्च बहव: स्वर्गायोपगता रणे।
त्यक्त्वा प्राणान् यथाशक्ति चेष्टां कृत्वा च पुष्कलाम्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
मेरे पक्ष के बहुत से योद्धा विजय के लिए प्रयत्न करके युद्धभूमि में प्राण त्यागकर स्वर्ग को चले गए ॥13॥
 
Many warriors of my side, having tried their best for victory, sacrificed their lives in the battlefield and went to heaven. 13॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.