श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  8.32.1 
संजय उवाच
पुत्रस्तव महाराज मद्रराजं महारथम्।
विनयेनोपसंगम्य प्रणयाद् वाक्यमब्रवीत्॥ १॥
 
 
अनुवाद
संजय कहते हैं - महाराज ! आपका पुत्र दुर्योधन मद्रराज महारथी शल्य के पास विनीत भाव से गया और उनसे प्रेमपूर्वक बोला -॥1॥
 
Sanjaya says - Maharaj! Your son Duryodhana went to the great warrior Shalya, the king of Madras, with a humble attitude and spoke to him lovingly -॥ 1॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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