श्री महाभारत » पर्व 8: कर्ण पर्व » अध्याय 2: धृतराष्ट्र और संजयका संवाद » श्लोक 6 |
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| | श्लोक 8.2.6  | हितान्युक्तानि विदुरद्रोणगाङ्गेयकेशवै:।
अगृहीतान्यनुस्मृत्य कच्चिन्न कुरुषे व्यथाम्॥ ६॥ | | | अनुवाद | ‘विदुर, द्रोणाचार्य, भीष्म और श्रीकृष्ण के कहे हुए हितकर वचनों को तुमने स्वीकार नहीं किया। अब क्या उन वचनों को बार-बार स्मरण करके तुम्हें दुःख नहीं होता?॥6॥ | | ‘You did not accept the beneficial words spoken by Vidur, Dronacharya, Bhishma and Shri Krishna. Now don't you feel pain by remembering those words again and again?॥ 6॥ |
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