श्री महाभारत » पर्व 8: कर्ण पर्व » अध्याय 2: धृतराष्ट्र और संजयका संवाद » श्लोक 4 |
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| | श्लोक 8.2.4  | सम्पूज्य च यथान्यायं धृतराष्ट्रं महीपतिम्।
हा कष्टमिति चोक्त्वा स ततो वचनमाददे॥ ४॥ | | | अनुवाद | राजा धृतराष्ट्र का यथोचित सत्कार करके संजय ने कहा - "हाय! यह तो बड़ी दुःखद बात है।" और फिर इस प्रकार वार्तालाप आरम्भ किया -॥4॥ | | After honoring King Dhritarashtra appropriately, Sanjaya said, "Alas! This is a very painful matter." and then began the conversation in this manner -॥ 4॥ |
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