श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 2: धृतराष्ट्र और संजयका संवाद  »  श्लोक 21-22
 
 
श्लोक  8.2.21-22 
दुर्योधनस्य कर्णस्य भोजस्य कृतवर्मण:।
मद्रराजस्य शल्यस्य द्रौणेश्चैव कृपस्य च॥ २१॥
मत्पुत्रस्य च शेषस्य तथान्येषां च संजय।
विप्रद्रुतेष्वनीकेषु मुखवर्णोऽभवत् कथम्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
संजय! जब सारी सेनाएँ भाग गईं, तब दुर्योधन, कर्ण, भोजवंशी कृतवर्मा, मद्रराज शल्य, द्रोणपुत्र अश्वत्थामा, कृपाचार्य, मृत्यु से बचे हुए मेरे पुत्र तथा अन्य लोगों के चेहरे पर क्या चमक थी?॥ 21-22॥
 
Sanjay! When all the armies fled, what was the glow on the faces of Duryodhan, Karna, Bhojvanshi Kritavarma, Madraraj Shalya, Drona's son Ashwatthama, Kripacharya, my sons who survived death and others?॥ 21-22॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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