श्री महाभारत » पर्व 8: कर्ण पर्व » अध्याय 2: धृतराष्ट्र और संजयका संवाद » श्लोक 16 |
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| | श्लोक 8.2.16  | ययोर्लोके पुमानस्त्रे न समोऽस्ति चतुर्विधे।
तौ द्रोणभीष्मौ श्रुत्वा तु हतौ मे व्यथितं मन:॥ १६॥ | | | अनुवाद | मैं यह सुनकर बहुत दुःखी हूँ कि द्रोणाचार्य और भीष्म, जो संसार में चारों प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान में समर्थ नहीं थे, मारे गए ॥16॥ | | I am deeply saddened to hear that Dronacharya and Bhishma, who had no equal in the knowledge of the four kinds of weapons in the world, were killed. ॥ 16॥ |
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