श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 2: धृतराष्ट्र और संजयका संवाद  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  8.2.10 
धृतराष्ट्र उवाच
आपगेये हते शूरे दिव्यास्त्रवति संजय।
द्रोणे च परमेष्वासे भृशं मे व्यथितं मन:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
धृतराष्ट्र बोले - 'संजय! मैं दिव्यास्त्रों के स्वामी, वीर गंगानन्दन भीष्म और महाधनुर्धर द्रोणाचार्य की मृत्यु से अत्यन्त दुःखी हूँ।॥ 10॥
 
Dhritarashtra said, 'Sanjay! I am deeply saddened by the death of the valiant Ganganandan Bhishma, the master of divine weapons, and the great archer Dronacharya.॥ 10॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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