श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 2: धृतराष्ट्र और संजयका संवाद  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  8.2.1 
वैशम्पायन उवाच
हते कर्णे महाराज निशि गावल्गणिस्तदा।
दीनो ययौ नागपुरमश्वैैर्वातसमैर्जवे॥ १॥
 
 
अनुवाद
वैशम्पायन बोले, 'महाराज! कर्ण के मारे जाने पर ग्वालपुत्र संजय अत्यन्त दुःखी हुआ और उसी रात अपने वायु के समान वेगवान घोड़ों पर सवार होकर हस्तिनापुर पहुँच गया।'
 
Vaishmpayana said, 'Maharaj! On the killing of Karna, Sanjaya, the son of the cowherd, was very sad and reached Hastinapur the same night on his horses which were as fast as the wind.'
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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