श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 18: अर्जुनके द्वारा हाथियोंसहित दण्डधार और दण्ड आदिका वध तथा उनकी सेनाका पलायन  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  8.18.7 
रथानधिष्ठाय सवाजिसारथीन्
नरांश्च पादैर्द्विरदो व्यपोथयत्।
द्विपांश्च पद्भॺां ममृदे करेण
द्विपोत्तमो हन्ति च कालचक्रवत्॥ ७॥
 
 
अनुवाद
उसका हाथी रथियों और घोड़ों समेत उन्हें रौंदकर चूर-चूर कर देता। पैदल चलने वालों को भी वह अपने पैरों से रौंद देता। हाथियों को भी वह अपने पैरों और सूंड से कुचल देता। इस प्रकार हाथीराज समय के चक्र की भाँति शत्रु सेना का विनाश करने लगा।
 
His elephant would trample the chariots along with the charioteers and horses and crush them to pieces. He would also trample the men on foot with his feet. He would also crush the elephants with his feet and trunk. In this way, the elephant king started destroying the enemy army like the wheel of time.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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