श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 18: अर्जुनके द्वारा हाथियोंसहित दण्डधार और दण्ड आदिका वध तथा उनकी सेनाका पलायन  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  8.18.5 
स मागधानां प्रवरोऽङ्कुशग्रहे
ग्रहेऽप्रसह्यो विकचो यथा ग्रह:।
सपत्नसेनां प्रममाथ दारुणो
महीं समग्रां विकचो यथा ग्रह:॥ ५॥
 
 
अनुवाद
मगध योद्धाओं में श्रेष्ठ दण्डधर अंकुश धारण करके हाथी से युद्ध करने में अद्वितीय थे। जिस प्रकार ग्रहों में केतु ग्रह का वेग असह्य है, उसी प्रकार उनका प्रहार भी शत्रुओं के लिए असह्य था। जिस प्रकार धूमकेतु नामक विनाशकारी ग्रह समस्त लोकों के लिए हानिकारक है, उसी प्रकार उस प्रचण्ड योद्धा ने वहाँ शत्रुओं की सम्पूर्ण सेना को कुचल डाला।
 
The best among the Magadh warriors, Dandadhar, had no equal in fighting with the elephant while holding the goad. Just as the speed of the planet Ketu is unbearable among the planets, similarly his attack was also unbearable for the enemies. Just as the destructive planet called Comet is harmful for the entire world, similarly that fierce warrior crushed the entire army of enemies there. 5.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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