श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 17: अर्जुनके द्वारा अश्वत्थामाकी पराजय  »  श्लोक 8-9
 
 
श्लोक  8.17.8-9 
धनूंषि बाणानिषुधीर्धनुर्ज्या:
पाणीन् भुजान् पाणिगतं च शस्त्रम्।
छत्राणि केतूंस्तुरगान् रथेषां
वस्त्राणि माल्यान्यथ भूषणानि॥ ८॥
चर्माणि वर्माणि मनोरमाणि
प्रियाणि सर्वाणि शिरांसि चैव।
चिच्छेद पार्थो द्विषतां सुयुक्तै-
र्बाणै: स्थितानामपराङ्मुखानाम्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
कुन्तीकुमार अर्जुन ने युद्ध में बिना पीठ फेरे उत्तम रीति से छोड़े हुए बाणों द्वारा धनुष, बाण, तरकस, प्रत्यंचा, हाथ, भुजाएँ, हाथ में लिए हुए शस्त्र, छत्र, ध्वजा, घोड़ा, रथ, ईषादण्ड, वस्त्र, माला, आभूषण, ढाल, सुन्दर कवच, सब प्रिय वस्तुएँ और सामने खड़े हुए शत्रुओं के सिर काट डाले॥8-9॥
 
Kuntikumar Arjuna, without turning his back in the battle, with the arrows fired in a perfect manner, cut off the bow, arrows, quiver, string, hands, arms, weapons in hand, umbrella, flag, horse, chariot, ishadon, clothes, garlands, ornaments, shield, beautiful armor, all the dear things and the head of the enemies standing in front. 8-9॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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