श्री महाभारत » पर्व 8: कर्ण पर्व » अध्याय 11: कर्णके सेनापतित्वमें कौरव-सेनाका युद्धके लिये प्रस्थान और मकरव्यूहका निर्माण तथा पाण्डव-सेनाके अर्धचन्द्राकार व्यूहकी रचना और युद्धका आरम्भ » श्लोक 7-9 |
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| | श्लोक 8.11.7-9  | तत: श्वेतपताकेन बलाकावर्णवाजिना।
हेमपृष्ठेन धनुषा नागकक्ष्येण केतुना॥ ७॥
तूणीरशतपूर्णेन सगदेन वरूथिना।
शतघ्नीकिंकिणीशक्तिशूलतोमरधारिणा॥ ८॥
कार्मुकैरुपपन्नेन विमलादित्यवर्चसा।
रथेनाभिपताकेन सूतपुत्रोऽभ्यदृश्यत॥ ९॥ | | | अनुवाद | तत्पश्चात्, सूतपुत्र कर्ण शुद्ध सूर्य के समान तेजस्वी और सब ओर से ध्वजाओं से सुसज्जित रथ पर सवार होकर युद्ध के लिए तत्पर हुए। उस रथ में श्वेत ध्वजा लहरा रही थी। उसमें बगुले के समान श्वेत घोड़े जुते हुए थे। उस पर एक धनुष रखा हुआ था, जिसका पृष्ठ भाग सोने से मढ़ा हुआ था। उस रथ की ध्वजा पर हाथी की रस्सी का चिह्न था। उसमें गदा सहित सैकड़ों तरकश रखे हुए थे। रथ की रक्षा के लिए ऊपर एक आवरण लगाया हुआ था। उसमें शतघ्नी, किंकिणी, शक्ति, शूल और तोमर रखे हुए थे तथा वह रथ अनेक धनुषों से सुसज्जित था। | | Thereafter, Sutaputra Karna appeared ready for the battle march in a chariot as radiant as the pure sun and decorated with flags on all sides. A white flag was fluttering in that chariot. White horses like herons were harnessed to it. A bow was placed on it, the back of which was plated with gold. The flag of that chariot had the mark of an elephant's rope. Hundreds of quivers were kept in it along with a mace. A cover was put on the top to protect the chariot. Shataghni, Kinkini, Shakti, Shool and Tomar were stored in it and that chariot was equipped with many bows. 7-9. |
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