श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 11: कर्णके सेनापतित्वमें कौरव-सेनाका युद्धके लिये प्रस्थान और मकरव्यूहका निर्माण तथा पाण्डव-सेनाके अर्धचन्द्राकार व्यूहकी रचना और युद्धका आरम्भ  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  8.11.38 
हयह्रेषितशब्दाश्च वारणानां च बृंहताम्।
रथनेमिस्वनाश्चोग्रा: सम्बभूवुर्जनाधिप॥ ३८॥
 
 
अनुवाद
हे जनेश्वर! घोड़ों की हिनहिनाहट, हाथियों की चिंघाड़ और रथ के पहियों की घरघराहट की भयानक ध्वनियाँ सुनाई देने लगीं। 38.
 
O Janeshwar! The terrifying sounds of neighing of horses, trumpeting of elephants and whirring of chariot wheels began to be heard. 38.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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