श्री महाभारत » पर्व 8: कर्ण पर्व » अध्याय 11: कर्णके सेनापतित्वमें कौरव-सेनाका युद्धके लिये प्रस्थान और मकरव्यूहका निर्माण तथा पाण्डव-सेनाके अर्धचन्द्राकार व्यूहकी रचना और युद्धका आरम्भ » श्लोक 36-37 |
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| | श्लोक 8.11.36-37  | तत: शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानकदुन्दुभि:।
डिण्डिमाश्चाप्यहन्यन्त झर्झराश्च समन्तत:॥ ३६॥
सेनयोरुभयो राजन् प्रावाद्यन्त महास्वना:।
सिंहनादश्च संजज्ञे शूराणां जयगृद्धिनाम्॥ ३७॥ | | | अनुवाद | राजा! तत्पश्चात दोनों सेनाओं में शंख, भेरी, पणव, आनक, दुन्दुभि और झांझ आदि बाजे जोर-जोर से बजने लगे। नगाड़े बजने लगे। साथ ही विजय की इच्छा रखने वाले वीर योद्धा भी गर्जना करने लगे। 36-37। | | King! Thereafter, the instruments like conch, bheri, panava, anaka, dundubhi and cymbals started sounding loudly all around in both the armies. The drums started being beaten. Along with that, the brave warriors who desired victory also started roaring. 36-37. |
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