श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 11: कर्णके सेनापतित्वमें कौरव-सेनाका युद्धके लिये प्रस्थान और मकरव्यूहका निर्माण तथा पाण्डव-सेनाके अर्धचन्द्राकार व्यूहकी रचना और युद्धका आरम्भ  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  8.11.15 
मकरस्य तु तुण्डे वै कर्णो राजन् व्यवस्थित:।
नेत्राभ्यां शकुनि: शूर उलूकश्च महारथ:॥ १५॥
 
 
अनुवाद
हे राजन! उस मकरव्यूह के मुख पर स्वयं कर्ण खड़ा था; उसकी आँखों के स्थान पर वीर शकुनि और महाबली उलूक खड़े थे।
 
O King! Karna himself stood at the mouth of that Makara-vyuha; in place of the eyes the valiant Shakuni and the mighty warrior Ulook were made to stand.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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