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श्लोक 8.1.3  |
ते मुहूर्तं समाश्वस्य हेतुभि: शास्त्रसम्मितै:।
रात्र्यागमे महीपाला: स्वानि वेश्मानि भेजिरे॥ ३॥ |
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अनुवाद |
वे दो घड़ी तक अश्वत्थामा को शास्त्रार्थ द्वारा सान्त्वना देते रहे। फिर जब रात्रि हो गई, तो सब भूपाल अपने-अपने शिविरों में चले गए॥3॥ |
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He continued consoling Ashwatthama for two hours with the help of scriptures. Then when night fell, all the Bhupals went to their respective camps. 3॥ |
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