श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 1: कर्णवधका संक्षिप्त वृत्तान्त सुनकर जनमेजयका वैशम्पायनजीसे उसे विस्तारपूर्वक कहनेका अनुरोध  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  8.1.3 
ते मुहूर्तं समाश्वस्य हेतुभि: शास्त्रसम्मितै:।
रात्र्यागमे महीपाला: स्वानि वेश्मानि भेजिरे॥ ३॥
 
 
अनुवाद
वे दो घड़ी तक अश्वत्थामा को शास्त्रार्थ द्वारा सान्त्वना देते रहे। फिर जब रात्रि हो गई, तो सब भूपाल अपने-अपने शिविरों में चले गए॥3॥
 
He continued consoling Ashwatthama for two hours with the help of scriptures. Then when night fell, all the Bhupals went to their respective camps. 3॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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