श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 1: कर्णवधका संक्षिप्त वृत्तान्त सुनकर जनमेजयका वैशम्पायनजीसे उसे विस्तारपूर्वक कहनेका अनुरोध  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  8.1.24 
एतन्मे सर्वमाचक्ष्व विस्तरेण महामुने।
न हि तृप्यामि पूर्वेषां शृण्वानश्चरितं महत्॥ २४॥
 
 
अनुवाद
हे महर्षि! कृपया मुझे यह सम्पूर्ण कथा विस्तारपूर्वक सुनाइए। मैं अपने पूर्वजों की महान् कथाओं को सुनकर संतुष्ट नहीं हो रहा हूँ।
 
O great sage! Please tell me this entire story in detail. I am not satisfied with hearing the great stories of my ancestors. 24.
 
इति श्रीमहाभारते कर्णपर्वणि जनमेजयवाक्यं नाम प्रथमोऽध्याय:॥ १॥
इस प्रकार श्रीमहाभारत कर्णपर्वमें जनमेजयवाक्य नामक पहला अध्याय पूरा हुआ॥ १॥

 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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