श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 1: कर्णवधका संक्षिप्त वृत्तान्त सुनकर जनमेजयका वैशम्पायनजीसे उसे विस्तारपूर्वक कहनेका अनुरोध  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  8.1.19 
स श्रुत्वा निहतं कर्णं दुर्योधनहितैषिणम्।
कथं द्विजवर प्राणानधारयत दु:खित:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
द्विजश्रेष्ठ! तब दुर्योधन के हितैषी कर्ण के मारे जाने का समाचार सुनकर आप अत्यंत दुःखी हुए थे। उसने अपने प्राण कैसे बचाये?
 
Dwijshreshtha! Then you were extremely saddened to hear the news of Duryodhana's well-wisher Karna being killed. How did he save his life? 19॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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