श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 95: द्रोण और धृष्टद्युम्नका भीषण संग्राम तथा उभय पक्षके प्रमुख वीरोंका परस्पर संकुल युद्ध  »  श्लोक 1-2
 
 
श्लोक  7.95.1-2 
संजय उवाच
प्रविष्टयोर्महाराज पार्थवार्ष्णेययो रणे।
दुर्योधने प्रयाते च पृष्ठत: पुरुषर्षभे॥ १॥
जवेनाभ्यद्रवन् द्रोणं महता नि:स्वनेन च।
पाण्डवा: सोमकै: सार्धं ततो युद्धमवर्तत॥ २॥
 
 
अनुवाद
संजय कहते हैं - महाराज! जब श्रीकृष्ण और अर्जुन उस रणभूमि में कौरव सेना में घुस आए और महाबली दुर्योधन उनका पीछा करते हुए आगे बढ़ गया, तब सोमकों सहित पाण्डवों ने बड़े जोर से गर्जना करके द्रोणाचार्य पर बड़े बल से आक्रमण किया। फिर वहाँ भयंकर युद्ध होने लगा॥1-2॥
 
Sanjaya says - Maharaj! When Shri Krishna and Arjun entered the Kaurava army in that battlefield and the great Duryodhan went ahead chasing them, then the Pandavas along with the Somaks roared loudly and attacked Dronacharya with great force. Then a fierce battle started there.॥1-2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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