श्री महाभारत » पर्व 7: द्रोण पर्व » अध्याय 165: दोनों सेनाओंका युद्ध और कृतवर्माद्वारा युधिष्ठिरकी पराजय » श्लोक 40 |
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| | श्लोक 7.165.40  | स च्छिन्नधन्वा विरथ: शीर्णवर्मा शरार्दित:।
अपायासीद् रणात् तूर्णं धर्मपुत्रो युधिष्ठिर:॥ ४०॥ | | | अनुवाद | इस प्रकार धनुष कट जाने, रथ नष्ट हो जाने तथा कवच के टुकड़े-टुकड़े हो जाने पर बाणों से घायल होकर धर्मपुत्र युधिष्ठिर युद्ध से तुरन्त भाग गये। | | After his bow was thus cut, his chariot destroyed and his armour torn to pieces, Yudhishthira, the son of Dharma, struck by arrows, immediately fled from the battle. |
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