श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 158: दुर्योधन और कर्णकी बातचीत, कृपाचार्यद्वारा कर्णको फटकारना तथा कर्णद्वारा कृपाचार्यका अपमान  »  श्लोक 63
 
 
श्लोक  7.158.63 
एते स्थास्यन्ति संग्रामे पाण्डवानां वधार्थिन:।
जयमाकाङ्क्षमाणा हि कौरवेयस्य दंशिता:॥ ६३॥
 
 
अनुवाद
ये वीर पुरुष कुरुराज दुर्योधन की विजय की इच्छा से और पाण्डवों का वध करने की इच्छा से कवच धारण करके युद्ध में डटे रहेंगे ॥63॥
 
These brave men, desiring the victory of Kururaj Duryodhana and desiring to kill the Pandavas, will put on armor and stand strong in the battle. 63॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.