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श्लोक 7.158.57  |
यद्येवं वक्ष्यसे भूयो ममाप्रियमिह द्विज।
ततस्ते खड्गमुद्यम्य जिह्वां छेत्स्यामि दुर्मते॥ ५७॥ |
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अनुवाद |
हे मूर्ख ब्राह्मण! यदि तूने यहाँ फिर कभी मुझे अप्रिय बात कही तो मैं तलवार उठाकर तेरी जीभ काट डालूँगा। |
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You foolish Brahmin! If you say anything displeasing to me here again, I will take up my sword and cut off your tongue. 57. |
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