श्री महाभारत » पर्व 7: द्रोण पर्व » अध्याय 158: दुर्योधन और कर्णकी बातचीत, कृपाचार्यद्वारा कर्णको फटकारना तथा कर्णद्वारा कृपाचार्यका अपमान » श्लोक 44-45 |
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| | श्लोक 7.158.44-45  | एते चान्ये च बहवो गुणा: पाण्डुसुतस्य वै।
कामं खलु जगत्सर्वं सदेवासुरमानुषम्॥ ४४॥
सयक्षराक्षसगणं सभूतभुजगद्विपम्।
नि:शेषमस्त्रवीर्येण कुर्वाते भीमफाल्गुनौ॥ ४५॥ | | | अनुवाद | पाण्डुपुत्र युधिष्ठिर में ये तथा और भी अनेक गुण हैं। भीमसेन और अर्जुन चाहें तो अपने अस्त्रों के बल से देवता, दानव, मनुष्य, यक्ष, राक्षस, भूत, सर्प और हाथी सहित इस सम्पूर्ण जगत का समूल नाश कर सकते हैं। | | Pandu's son Yudhishthira has these and many more qualities. If Bhimsen and Arjun wish, they can completely destroy this entire world including gods, demons, humans, yakshas, demons, ghosts, snakes and elephants with the power of their weapons. |
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