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श्लोक 7.158.30  |
वृथा शूरा न गर्जन्ति शारदा इव तोयदा:।
सामर्थ्यमात्मनो ज्ञात्वा ततो गर्जन्ति पण्डिता:॥ ३०॥ |
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अनुवाद |
शरद ऋतु के मेघों के समान वीर व्यर्थ गर्जना नहीं करते। बुद्धिमान पुरुष पहले अपने बल को समझते हैं और फिर गर्जना करते हैं।॥30॥ |
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‘Like the clouds of autumn, the valiant do not roar in vain. The wise men first understand their strength and then roar.॥ 30॥ |
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