श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 99
 
 
श्लोक  7.156.99 
तिष्ठ तिष्ठ न मे जीवन् द्रोणपुत्र गमिष्यसि।
युद्धश्रद्धामहं तेऽद्य विनेष्यामि रणाजिरे॥ ९९॥
 
 
अनुवाद
‘द्रोणपुत्र! खड़े हो जाओ, खड़े हो जाओ, तुम मेरे हाथों से बच नहीं पाओगे। आज इस रणभूमि में मैं तुम्हारे युद्ध करने के साहस को नष्ट कर दूँगा।’॥19॥
 
‘Son of Drona! Stand, stand, you will not be able to escape from my hands. Today in this battlefield I will destroy your courage to fight.'॥ 19॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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