श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 73
 
 
श्लोक  7.156.73 
विहतायां तु मायायाममर्षी स घटोत्कच:।
विससर्ज शरान् घोरांस्तेऽश्वत्थामानमाविशन्॥ ७३॥
 
 
अनुवाद
जब माया नष्ट हो गई, तब क्रोध में भरकर घटोत्कच ने अनेक भयंकर बाण छोड़े, जो अश्वत्थामा के शरीर में जा लगे।
 
When the illusion was destroyed, Ghatotkacha, filled with anger, shot many fierce arrows. All those arrows penetrated Ashwatthama's body.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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