श्री महाभारत » पर्व 7: द्रोण पर्व » अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय » श्लोक 34-37 |
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| | श्लोक 7.156.34-37  | सात्यकिं दशभिर्बाणैर्विंशत्या पार्षतं शरै:॥ ३४॥
भीमसेनं च नवभिर्नकुलं पञ्चभिस्तथा।
सहदेवं तथाष्टाभि: शतेन च शिखण्डिनम्॥ ३५॥
द्रौपदेयान् महाबाहु: पञ्चभि: पञ्चभि: शरै:।
विराटं मत्स्यमष्टाभिर्द्रुपदं दशभि: शरै:॥ ३६॥
युधामन्युं त्रिभि: षड्भिरुत्तमौजसमाहवे।
अन्यांश्च सैनिकान् विद्ध्वा युधिष्ठिरमुपाद्रवत्॥ ३७॥ | | | अनुवाद | तब महाबली द्रोण ने सात्यकि पर दस, धृष्टद्युम्न पर बीस, भीमसेन पर नौ, नकुल पर पांच, सहदेव पर आठ, शिखंडी पर सौ, द्रौपदीपुत्र पर पांच-पांच, मत्स्य राजा विराट पर आठ, द्रुपद पर दस, युधामन्यु पर तीन, उत्तमौजा पर छह तथा अन्य योद्धाओं को बाणों से घायल कर युद्धभूमि में राजा युधिष्ठिर पर आक्रमण किया। | | Then the mighty Drona attacked Satyaki ten, Dhrishtadyumna twenty, Bhimasena nine, Nakul five, Sahadeva eight, Shikhandi hundred, Draupadiputra five each, Matsya king Virat eight, Drupada ten, Yudhamanyu three, Uttamauja six and other soldiers injured with arrows and attacked King Yudhishthir in the battlefield. |
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