श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 22-23
 
 
श्लोक  7.156.22-23 
शकुनिश्च सुसंक्रुद्ध: सर्वशस्त्रभृतां वर:॥ २२॥
पुत्रपौत्रै: परिवृतो भ्रातृभिश्चेन्द्रविक्रमै:।
स्यालस्तव महाबाहुर्वज्रसंहननो युवा॥ २३॥
 
 
अनुवाद
आपके युवा साले महाबाहु शकुनि, जो समस्त शस्त्रधारियों में श्रेष्ठ हैं और जिनका शरीर वज्र के समान दृढ़ है, वे भी अत्यन्त क्रोधित होकर इन्द्र के समान पराक्रमी भाइयों, पुत्रों और पौत्रों से घिरे हुए वहाँ पहुँचे ॥22-23॥
 
Your young brother-in-law, the mighty-armed Shakuni, who is the best among all the weapon-wielders and has a body as strong as a thunderbolt, also got very angry and reached there, surrounded by brothers and sons and grandsons who were mighty like Indra. 22-23॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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