श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  7.156.19 
शपेऽहं कृष्णचरणैरिष्टापूर्तेन चैव ह।
यदि त्वां ससुतं पापं न हन्यां युधि रोषित:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
मैं श्री कृष्ण के चरणों की और अपने पुण्यकर्मों की शपथ लेकर कहता हूँ कि यदि मैं युद्ध में क्रोध करके तुम्हारे जैसे पापी को तुम्हारे पुत्रों सहित न मार डालूँ, तो मुझे उत्तम योनि न मिले॥19॥
 
I swear by the feet of Shri Krishna and by my good deeds, that if I do not get angry in the war and kill a sinner like you along with your sons, then I will not get the best life. 19॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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