श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 182-183
 
 
श्लोक  7.156.182-183 
श्रुताह्वयं च राजानं द्रौणिर्निन्ये यमक्षयम्।
त्रिभिश्चान्यै: शरैस्तीक्ष्णै: सुपुङ्खैर्हेममालिनम्॥ १८२॥
जघान स पृषध्रं च चन्द्रसेनं च मारिष।
कुन्तिभोजसुतांश्चासौ दशभिर्दश जघ्निवान्॥ १८३॥
 
 
अनुवाद
आर्य! इसके बाद द्रोणकुमार ने राजा श्रुतह्व को भी यमलोक भेज दिया। फिर अन्य तीन तीक्ष्ण एवं सुन्दर पंखयुक्त बाणों से हेममाली, पृषध्र और चन्द्रसेन का वध कर दिया। तत्पश्चात् दस बाणों से राजा कुन्तीभोज के दस पुत्रों का वध कर दिया॥182-183॥
 
Arya! After this, Dronakumar also sent King Shrutahva to Yamaloka. Then with the other three sharp and beautiful feathered arrows, he killed Hemmali, Prishadhra and Chandrasen. Thereafter with ten arrows, he killed the ten sons of King Kunti Bhoja.॥ 182-183॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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