श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 164
 
 
श्लोक  7.156.164 
अतितीव्रं महद् युद्धं तयो: पुरुषसिंहयो:।
योधानां प्रीतिजननं द्रौणेश्च भरतर्षभ॥ १६४॥
 
 
अनुवाद
भरतश्रेष्ठ! उन दोनों सिंहों और अश्वत्थामा का वह अत्यन्त भयंकर एवं महान् युद्ध समस्त योद्धाओं के हर्ष को बढ़ाने वाला था ॥164॥
 
Bharatshrestha! That very fierce and great battle between those two male lions and Ashwatthama was increasing the joy of all the warriors. 164॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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