श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 163
 
 
श्लोक  7.156.163 
ततो मुमोच नाराचान् द्रौणिस्तांश्च सहस्रश:।
तावप्यग्निशिखप्रख्यैर्जघ्नतुस्तस्य मार्गणान्॥ १६३॥
 
 
अनुवाद
तब अश्वत्थामा ने भी उस पर हजारों बाण छोड़े। धृष्टद्युम्न और घटोत्कचन ने भी अग्नि की लपटों के समान तेजस्वी बाणों से अश्वत्थामा के बाणों को काट डाला।
 
Then Ashwatthama also shot thousands of arrows at him. Dhrishtadyumna and Ghatotkachan also cut Ashwatthama's arrows with their arrows as bright as flames of fire.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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